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Explainer: आग के लिहाज से क्यों खासी संवेदनशील होती हैं हाईराइज बिल्डिंग्स, तेजी से फ्लैट्स में फैलती है आग

हाइलाइट्स

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सिटी की एक सोसायटी के फ्लैट में आग लगी, फिर इसने कई फ्लैट्स को ऊपर तक लपेटे में ले लिया
हाईराइज बिल्डिंग्स आग के लिहाज से बहुत संवेदनशील होती हैं यहां कई वजहों से लगातार आग लगने का खतरा बना रहता है
फ्लैट में रहने वालों को ना केवल सावधान रहना चाहिए बल्कि ये भी जानिए कि आग लगने पर क्या करें और क्या नहीं करें

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी में अक्सर आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं. कई बार ये इतनी भयावह भी हो चुकी है कि जान-माल दोनों का नुकसान हुआ है. इसकी बड़ी वजह हाईराइज इमारते हैं, जो इस एरिया में बहुतायत में हैं. आमतौर पर कई फ्लैट वाली बहुमंजिला इमारतें आग के लिहाज से बहुत संवेदनशील हो जाती हैं. यहां एक फ्लैट में आग लगने की छोटी चूक भी बहुत भारी पड़ जाती है. क्योंकि ये आग अगर एक फ्लैट में लग गई और उसको काबू में नहीं लाया जा सका तो फिर ये ऊपर की ओर बहुत तेजी से फैलना शुरू कर देती है.

हालिया घटना एक दिन पहले ग्रेटर नोएडा वेस्ट की 16एवेन्यू गौर सिटी सोसायटी में हुई, जहां एक फ्लैट में शार्ट सर्किट के कारण आग लगी, इसे देखा नहीं जा सका और फिर ये बहुत विकराल होकर कई फ्लैट्स तक फैल गई. किसी तरह इसको बुझाया जा सका.

वैसे गर्मी आते ही दिल्ली और एनसीआर में आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगती हैं. आग का खतरा बहुमंजिला इमारतों में ज्यादा होने लगा है, जहां फ्लैट ऊपर नीचे या सटे हुए हैं.

हाईराइज बिल्डिंग्स में कई फ्लैट होने की वजह से उनमें लकड़ी, प्लास्टिक, ज्वलनशील केमिकल्स, पीवीसी पाइप्स, बिजली के सामानों आदि का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जाता है. फिर हर फ्लैट में तमाम ऐसी चीजें होती हैं जो तेजी से आग को पकड़ती हैं.

आइए हम देखते हैं कि किन वजहों से हाईराइज बिल्डिंग में आग लगती हैं और बड़े खतरे में बदल जाती हैं.

1. पूजा घर से
ग्रेटर नोएडा वेस्ट यानि नोएडा एक्सटेंशन में हाल में आग लगने की कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जो पूजा घर से लगी हैं. दीपक जलाकर बाहर चले जाने की वजह से ये बड़ी आग में तब्दील हो गईं. लिहाजा ये सुनिश्चित कर लें कि अगर घर को बंद करके बाहर निकलना है तो पूजाघर में दीपक या अगरबत्ती कतई नहीं जल रही हो. घर में रहते हुए भी अगर पूजाघर में दीपक या अगरबत्ती जला रहे हैं तो सावधान रहें, उसे ऐसी जगह रखें जहां रिस्क की गुंजाइश नहीं के बराबर रहे.

2. शार्ट सर्किट से
बहुमंजिला इमारतों और फ्लैट्स में आग लगने की दूसरी बड़ी वजह ये होती है. आमतौर पर बिजली की मेंटनेस में अगर लापरवाही बरती जा रही है तो ये इस आशंका को बढ़ा देती है. गर्मी में बिजली पर लोड बढ़ जाता है और ऐसे में कूलर, एसी लगातार चलाने पर शार्ट सर्किट होने का खतरा रहता है. अगर घर में बिजली के तार पुराने हो रहे हों तो कृपया इसे जरूर चेक कराएं

3. भवननिर्माण में ज्वलनशील वस्तुओं के इस्तेमाल से
बहुमंजिला भवनों के निर्माण में ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल खूब होने लगा है तो ज्वलन के तौर पर संवेदनशील होती हैं. जब गर्मी बढ़ती है और पारा बेतहाशा चढ़ने लगता है तो दीवार, कांच, रबर, प्लास्टिक की टंकियों और बाहर खुले में दौड़ रहे प्लास्टिक के वायर जी का जंजाल बन सकते हैं. ये भी एक बड़ी वजह आग लगने की होती है.

4. किचन की चिमनी से भी
किचन की चिमनी यूं तो धुएं तो निकालने के लिए बनती है लेकिन अगर कभी उसमें ब्लाकेज आ गया है तो कई बार उससे भी आग लग जाती है. लिहाजा समय समय पर किचनी की चिमनी की भी जांच करा लें.

5. घर में जरूरत से ज्यादा इलैक्ट्रानिक और सौंदर्य प्रशाधन के सामानों से
आमतौर पर अब फ्लैट्स में बहुत ज्यादा जगह होती नहीं है और इलैक्ट्रॉनिक सामानों से लेकर सौंदर्य प्रसाधन के ऐसे सामान या केमिकल रहते हैं कि आग लगने की सूरत में वह ज्यादा विध्वंसक बन जाते हैं.

6. बिना देखभाल के खाना बनाना
घरों में आग लगने का नंबर एक कारण है बिना देखभाल के खाना बनाना. सुनिश्चित करें कि जब आप गर्मी स्रोत से खाना बना रहे हों तो आप कमरे में रहें. यदि आप पूरे समय कमरे में नहीं रह सकते तो परिवार के किसी अन्य वयस्क को अपने भोजन का ध्यान रखने के लिए कहें.

बहुमंजिला इमारतें हमेशा संवेदनशील
दिल्ली फायर विभाग के आंकड़े बताते हैं कि महानगर में वर्ष 2015 के बाद सबसे भयंकर आग बहुमंजिला भवनों में लगी है. इसकी जद में 16 में 10 बहुमंजिला इमारतें रही हैं, जो आग लगने के बाद बेकाबू भवन में तब्दील हो जाते हैं. वहां आसानी से आग बुझाना मुश्किल हो जाता है.

आग लगने की स्थिति में क्या चुनौतियां सामने आती हैं
निकासी संबंधी जटिलता: आग लगने की आपात स्थिति के दौरान किसी ऊंची इमारत को खाली कराना निवासियों की भारी संख्या और सीमित निकास मार्गों के कारण बहुत मुश्किल हो जाता है. आग लगने के दौरान लिफ्ट भी आमतौर पर बंद कर दी जाती है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से खुद बड़ा खतरा हो सकता है. इसका मतलब ये होता है कि केवल सीढ़ियों का ही उपयोग हो सकता है, जिससे उतरने में समय भी लगता है और इसमें ऐसे हादसों के समय काफी भीड़ भी हो सकती है.

आग का फैलाव: ऊंची इमारतें अपनी ऊर्ध्वाधर प्रकृति के कारण तेजी से आग फैलने के प्रति संवेदनशील होती हैं. आग गलियारों, सीढ़ियों और यहां तक ​​कि सामने के हिस्सों से भी तेजी से फैल सकती है, जिससे रोकथाम और नियंत्रण चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

ज्वलनशील सामग्री का बहुतायत में होना – हाईराइज बिल्डिंग्स में ज्यादा फ्लैट होने का मतलब है उतनी ही ज्यादा ज्वलनशील वस्तुओं का हर फ्लैट में मौजूद होना.

क्या होना चाहिए
फायर सेफ्टी मेजरमेंट्स : ऊंची इमारतों में अच्छी तरह से अग्नि सुरक्षा योजनाएं होनी चाहिए जिनमें स्पष्ट निकासी मार्ग और आपदा से निपटने की योजना मौजूद हो

नियमित अग्नि अभ्यास : निवासियों को निकासी प्रक्रियाओं और आपातकालीन निकास से परिचित कराने के लिए नियमित अग्नि अभ्यास होना चाहिए, जो अमूमन नहीं होता. इस तरह के अभ्यास को दिन और रात दोनों समय किया जाना चाहिए.

अग्निरोधक और भवन निर्माण सामग्री : विशेष रूप से भवन के आगे के हिस्सों और अंदर की संरचना में अग्नि प्रतिरोधी निर्माण सामग्री का इस्तेमाल होना चाहिए. इससे आग फैलने की गति धीमी हो जाती है और लोगों को इमारत से निकलने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता है.

सक्रिय अग्नि सुरक्षा प्रणालियां : हर फ्लैट और हर कमरे में स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम, धूम्रपान अलार्म और अग्नि सुरक्षा प्रणालियां होनी चाहिए, जिसमें अक्सर कोताही बरती जाती है. अब ऐसी उन्नत तकनीक आ गई हैं, जो धुएं और आग का शुरुआती चरण में ही पता लगा लेती हैं.

संचार प्रणाली : एक विश्वसनीय संचार प्रणाली स्थापित होनी चाहिए, जो आपात स्थिति में सभी निवासियों तक पहुंच सके. इसमें टेक्स्ट अलर्ट, इंटरकॉम और पब्लिक एड्रेस सिस्टम शामिल हो सकते हैं.

सीढ़ी दबाव : सीढ़ी दबाव प्रणाली लागू करें जो धुएं को सीढ़ियों में घुसने से रोकती है, जिससे रहने वालों को सुरक्षित रूप से बाहर निकलने में सहूलियत हो जाती है.

अग्निशमन उपकरण : इमारत को रणनीतिक रूप से स्थित अग्नि नल और अग्निशामक यंत्रों से युक्त होना चाहिए और लोग इसके लिए ट्रेंड होने चाहिए.

क्या करें
अपने घर के हर स्तर पर, बेडरूम के अंदर और सोने के बाहर के क्षेत्रों में धूम्रपान अलार्म स्थापित करें. हर महीने धूम्रपान अलार्म का परीक्षण करें. अगर वे काम नहीं कर रहे हैं, तो बैटरी बदल दें.

घरों में अपनाएं बचाव के ये तरीके
घरों में भी आग लगने की घटनाएं काफी सामने आती हैं. ज्‍यादातर मामलों में लोगों की लापरवाही या जानकारी का अभाव सामने आता है. घरों में आग लगने के दो प्रमुख कारण हैं. वायरिंग यानि बिजली के सिस्‍टम या तारों में शॉर्ट सर्किट की वजह से और दूसरा सिलेंडर की वजह से. लोग सबसे बड़ी गलती करते हैं कि मकान के बिजली सिस्‍टम पर लोड बढ़ाते जाते हैं, जिसकी वजह से स्‍पार्क या शॉर्ट सर्किट हो जाता है.

ये करें उपाय
. अगर 20 साल पहले मकान बनवाया और बिजली की फिटिंग कराई है तो उन्‍हीं तारों पर एसी, कूलर, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, ओवन आदि का भार न बढ़ाएं. पहले वायरिंग की जांच कराएं कि क्‍या ये इन चीजों का भार झेल सकती है.
. समय समय पर वायरिंग और बिजली के कनेक्‍शनों की जांच करते रहे. पुरानी वायरिंग को बदल दें. इसमें कट न हों इसका भी ध्‍यान रखें.
. पॉवर पॉइंटों पर धूल न जमने दें.
. एसी-कूलर आदि को भी समय-समय पर साफ करें.
. एक साथ एसी, वॉशिंग मशीन, फ्रिज आदि सभी इलेक्ट्रिक आयटमों को न चलाएं. ए‍क चलाएं तो दूसरा बंद कर दें. इससे वायरिंग पर अतिरिक्‍त बोझ नहीं पड़ेगा.
. एसी को 24 घंटे लगातार न चलाएं. इसे 8-10 घंटे के बाद आराम दें. फिर कुछ घंटे बाद चलाएं.
. एक ही पॉइंट पर बहुत सारे प्‍लग न लगाएं.
. एमसीबी की भी जांच कराते रहें.
. इसके अलावा सिलेंडर से भी आग लगती है तो जब भी रसोई में गैस जलाकर काम करें तो उसे चला हुआ छोड़कर न जाएं. पहले गैस को बंद करें फिर वहां से जाएं.
. लीकेज सिलेंडर को इस्‍तेमाल न करें.
. सिलेंडर और गैस चूल्‍हे तक जाने वाली पाइप कटी-फटी न हो, इससे गैस लीक न हो इसका ध्‍यान रखें.
. घर से बाहर जाएं तो रेगुलेटर को बंद कर दें. रात में सोने से पहले भी ये कर सकते हैं.

Tags: Apartment, Fire, Fire in Delhi, Flat in a society, Multi-storeyed flats

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Jan News
Author: Jan News

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