मॉस्को। रूस के कद्दावर नेता व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल कर ली है। रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि देश में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में व्लादिमीर पुतिन ने जीत दर्ज की है और उन्होंने रिकॉर्ड मत प्रतिशत के साथ राष्ट्रपति पद का पांचवां कार्यकाल हासिल किया है। चुनाव में पुतिन की जीत देश की राजनीतिक व्यवस्था पर उनके नियंत्रण को रेखांकित करती है। पुतिन के सामने नाममात्र के सिर्फ तीन उम्मीदवार थे और यूक्रेन युद्ध का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई थी। पुतिन दिसंबर 1999 से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तौर पर रूस का नेतृत्व कर रहे हैं। इससे पहले पुतिन ने नतीजों को उनमें लोगों का विश्वास और उम्मीद बताया, जबकि आलोचकों ने नतीजों को चुनाव की पूर्वनिर्धारित प्रकृति का एक और प्रतिबिंब बताया। मतदान खत्म होने के बाद स्वयंसेवकों के साथ बातचीत करते हुए पुतिन ने कहा, हमारे पास बहुत काम हैं। लेकिन मैं सबसे यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जब हम एकजुट थे, तो कोई भी हमें डराने, हमारी इच्छाशक्ति और हमारे आत्म-विवेक को दबाने में कामयाब नहीं हुआ। उन्होंने कहा, वे अतीत में नाकाम रहे और वे भविष्य में भी असफल होंगे। चुनाव के दौरान पुतिन और यूक्रेन में जंग की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने पर रोक थी। स्वतंत्र मीडिया को पंगु बना दिया गया था।
पुतिन (71) के सबसे मुखर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एलेक्सी नवलनी की पिछले महीने आर्कटिक जेल में मौत हो गई और उनके अन्य आलोचक या तो जेल में हैं या निर्वासन में हैं। रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि करीब 100 फीसदी क्षेत्रों में पड़े मतों की गिनती कर ली गई है और पुतिन को 87.29 फीसदी वोट मिले हैं। आयोग की प्रमुख एला पैम्फिलोवा ने कहा कि पुतिन के लिए करीब 7.6 करोड़ लोगों ने मतदान किया है जो उन्हें हासिल अब तक के सबसे ज्यादा वोट हैं।
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और होन्डुरास, निकारागुआ और वेनेजुएला के राष्ट्रपतियों ने पुतिन को उनकी जीत पर बधाई दी। वहीं सोवियत संघ के विघटन के बाद अस्तित्व में आए मध्य एशियाई देशों- तज़ाकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के नेताओं ने भी पुतिन को मुबारकबाद दी। वहीं,पश्चिमी देशों ने चुनाव को दिखावटी बताकर खारिज कर दिया।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड कैमरून ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, यूक्रेनी क्षेत्र में अवैध तरीके से चुनाव कराने के बाद रूस में चुनाव संपन्न हो गए हैं। चुनाव में मतदाताओं के पास विकल्पों की कमी थी और कोई स्वतंत्र ओएससीई निगरानी भी नहीं थी। यह वैसा नहीं है जैसा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव दिखता है।
पुतिन के खिलाफ क्रेमलिन-अनुकूल पार्टियों के तीन प्रतीकात्मक प्रतिद्वंद्वी खड़े थे जिन्होंने उनके 24 साल के शासन या दो साल पहले यूक्रेन पर उनके आक्रमण की किसी भी आलोचना से परहेज किया है।
